किराया कानून: क्या आप जानते हैं कि अब सिर्फ रेंट देना काफी नहीं है? जी हां, अब मकान पर दावा करने के लिए कुछ विशेष सबूत जरूरी हो गए हैं। मैं आपको बताना चाहता हूं कि नए किराया कानून के तहत किरायेदारों और मकान मालिकों के बीच के संबंधों में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। आइए जानते हैं इस नए कानून के बारे में विस्तार से।

किराया कानून में क्या बदलाव आए हैं?
नए किराया कानून के अनुसार, अब सिर्फ रेंट देना काफी नहीं है। मकान पर अपना अधिकार साबित करने के लिए आपके पास एक वैध किराया समझौता होना अनिवार्य है। मैंने देखा है कि कई लोग मौखिक समझौते पर भरोसा करते हैं, लेकिन यह अब कानूनी रूप से पर्याप्त नहीं है। क्या आपने अपना किराया समझौता लिखित में करवाया है? अगर नहीं, तो अब समय आ गया है इसे औपचारिक रूप देने का।
मकान पर दावा करने के लिए कौन से सबूत जरूरी हैं?
मकान पर दावा करने के लिए जरूरी हैं ये सबूत, जानिए नया कानून क्या कहता है। सबसे पहले, आपके पास एक पंजीकृत किराया समझौता होना चाहिए। इसके अलावा, नियमित किराया भुगतान के रसीद, बिजली-पानी बिल, आधार कार्ड जैसे पते के प्रमाण और बैंक स्टेटमेंट भी महत्वपूर्ण सबूत हैं। मैं आपको सलाह दूंगा कि इन सभी दस्तावेजों को सुरक्षित रखें।
दस्तावेज | महत्व |
---|---|
पंजीकृत किराया समझौता | कानूनी मान्यता के लिए अनिवार्य |
किराया भुगतान रसीदें | नियमित भुगतान का प्रमाण |
वास्तविक जीवन में इसका प्रभाव
पिछले महीने मेरे एक परिचित के साथ एक मामला सामने आया। उन्होंने 5 साल तक एक मकान में रहने के बाद भी अपना अधिकार साबित नहीं कर पाए क्योंकि उनके पास कोई लिखित समझौता नहीं था। मकान मालिक ने उन्हें सिर्फ 15 दिनों का नोटिस देकर खाली करने को कहा। नए कानून के तहत, अगर उनके पास उचित दस्तावेज होते तो वे अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते थे।