Old Pension Scheme – उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को शुरू करने का ऐलान सरकार द्वारा कर दिया गया है। यह निर्णय उन लाखों कर्मचारियों के लिए राहत की खबर है जो लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे। नई पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को बाजार आधारित लाभ मिलते थे, जिससे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली पेंशन की राशि निश्चित नहीं होती थी। लेकिन पुरानी योजना में एक सुनिश्चित पेंशन राशि दी जाती है जो कर्मचारी के अंतिम वेतन के आधार पर तय होती है। इस ऐलान से विशेष रूप से उन कर्मचारियों को लाभ मिलेगा जो सरकारी सेवा में सालों से कार्यरत हैं और रिटायरमेंट के नजदीक हैं। यह फैसला वित्तीय स्थिरता और कर्मचारियों के भविष्य की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

कौन कर्मचारी होंगे इस फैसले से लाभान्वित?
इस फैसले से सबसे अधिक लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जो 1 अप्रैल 2005 से पहले सरकारी सेवा में नियुक्त हुए थे लेकिन किन्हीं कारणों से उन्हें अभी तक पुरानी पेंशन योजना का लाभ नहीं मिल सका था। ऐसे कर्मचारी जिनकी नियुक्ति उस समय तो हो गई थी लेकिन नियुक्ति प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी थी, उन्हें भी इस योजना में शामिल किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि कोई कर्मचारी अभी तक NPS के तहत पंजीकृत नहीं हुआ है और उसकी नियुक्ति पुराने नियमों के अंतर्गत हुई है, तो उसे भी पुरानी योजना का लाभ मिलने की संभावना है। सरकार द्वारा इसके लिए एक विस्तृत सूची तैयार की जा रही है, जिसमें पात्र कर्मचारियों को पहचान कर योजना में शामिल किया जाएगा।
पुरानी पेंशन योजना की प्रमुख विशेषताएं क्या हैं?
पुरानी पेंशन योजना की सबसे खास बात यह है कि इसमें कर्मचारी को रिटायरमेंट के बाद एक सुनिश्चित मासिक पेंशन मिलती है, जो उसके अंतिम वेतन का 50% तक हो सकती है। यह पूरी तरह से सरकार द्वारा वहन की जाती है और इसमें कोई बाजार जोखिम नहीं होता। इसके अलावा, इस योजना के तहत कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (DA) भी पेंशन में जोड़कर दिया जाता है, जिससे बढ़ती महंगाई का असर पेंशन पर कम होता है। इसके विपरीत, नई पेंशन योजना (NPS) में कर्मचारी और सरकार दोनों योगदान करते हैं लेकिन रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली राशि बाजार की स्थिति पर निर्भर होती है। यही कारण है कि कर्मचारी लगातार पुरानी योजना की वापसी की मांग कर रहे थे।
सरकार ने फैसला क्यों लिया?
उत्तर प्रदेश सरकार ने यह फैसला कर्मचारियों के लंबे समय से चले आ रहे आंदोलन, जन समर्थन और राजनीतिक माहौल को देखते हुए लिया है। पुरानी पेंशन योजना को बंद किए जाने के बाद से ही कर्मचारी संघ लगातार इसका विरोध कर रहे थे। कई बार धरने, प्रदर्शन और हड़तालें भी हुईं। विपक्षी दलों द्वारा भी इसे एक बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया। इसके चलते सरकार पर दबाव बढ़ा और अंततः जनहित में यह निर्णय लिया गया। साथ ही, सरकार का मानना है कि इससे कर्मचारियों में कार्य के प्रति समर्पण और भरोसा बढ़ेगा, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था भी मजबूत होगी।
आगे की प्रक्रिया क्या होगी?
सरकार की ओर से अब इस योजना के तहत लाभ लेने के लिए पात्र कर्मचारियों की सूची तैयार की जाएगी। इसके लिए सभी विभागों को आदेश जारी किए जाएंगे कि वे अपने अधीनस्थ कर्मचारियों का सेवा विवरण एकत्र करें और पुरानी पेंशन योजना के लिए पात्रता की जांच करें। इसके बाद एक पोर्टल पर सभी पात्र कर्मचारियों को रजिस्टर किया जाएगा, जहां वे योजना में शामिल होने के लिए आवेदन कर सकेंगे। साथ ही, वित्त विभाग द्वारा इसके लिए बजट आवंटन और तकनीकी व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाएंगी।